पल्लव की शर्ते
मुनिशा और पल्लव काफी करीब आ चुके थे। हर एक बात एक दुसरे को बताते थे। पल्लव तो कितने बजे मुनिशा को उठाना है ताकि उसकी नींद पुरी हो गई हो इतना तक समझ चुका था।
मुनिशा और पल्लव की शादी तय हो गई थी। पल्लव अब साधना कम करने लगा था। उसका अकेलापन अब दुर हो गया था। मुनिशा भी बचपना छोड समझदार होकर मा को काम मे हाथ बटाती थी।
मुनिशा और पल्लव अपने सपनो के महल मे खुश थे। पल्लव की सारी शर्ते मुनिशा ने मान ली थी। पल्लव के सिवा किसी के साथ भी मुनिशा बात नही कर सकती थी। ना ही किसी कि तरफ गलत नजर से देख सकती थी। पल्लव भी मुनिशा के साथ एकनिष्ठ था। उसपर भी यही शर्ते लागू होती थी। मुऩिशा कभी उससे झूठ नही बोलेगी।
इतनी सारी शर्ते मानकर मुनिशा पल्लव के साथ खुश थी। वो सबको अपना भाई-बंधू मानती थी। किसी से भी वो दोस्त की तरह बात नही करती थी। सब बाते वो पल्लव की मानती थी। मुनिशा सच मे बदल गई थी।
क्या ये बदलाव मुनिशा को अच्छा भाग्य देगा या पल्लव उसका विश्वास तोडेगा जानने के लिये पढते रहिये मेरी कहानी ।
Arti khamborkar
19-Dec-2024 03:54 PM
brilliant
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Mohammed urooj khan
29-Apr-2024 01:20 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Babita patel
28-Apr-2024 10:54 AM
Superb part
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